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हस्तशिल्प

बाध निर्माण इस जनपद का एक प्रमुख हस्तशिल्प है | बाध(मूंज) से विभिन्न सामग्रियों के निर्माण को एक जिला एक उत्पाद योजना के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है.बाध(मूंज) का निर्माण यह चारपाई/ खाट आदि को बुनने में कार्य आता है |शिल्पकारों का समूह जो स्थानीय रूप से उपलब्ध घास, जिसे मूँज कहा जाता है, से रस्सियाँ बनाने में संलिप्त है । मूँज घास उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में बहुतायत से पायी जाती है । सुलतानपुर उनमें से एक है । प्राकृतिक फाइबर का उपयोग घरेलू एवं दैनिक प्रयोग की वस्तुएं बनाने में किया जाता है । रस्सियाँ बुनना यद्यपि भारत का एक परम्परागत उपक्रम है । स्थानीय लोग घास की सहायता से रस्सी बुनने का कार्य, टोकरियाँ एवं चारपाइयाँ बुनने का काम करते हैं । हल्की गीली मूँज घास की कुंडलियाँ बना कर उन्हें एक विशिष्ट बनावट में पिरोकर बहुत से उपयोगी उत्पाद बनाए जाते हैं । सुतली की सहायता से बुनी गई व मूँज की रस्सी से कसी गई खाट से चारपाई की स्थिति यथावत बनी रहती है ।

बाध (मूंज)

बाध से बुनी हुई खाट/चारपाई

मूंज घास का गठ्ठा

मूंज घास का चित्र

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